इस कविता के माध्यम से मै सिपाही और कवि का संवाद को बताने का प्रयास कर रहा हूं। आशा है आप पसंद करेंगे।और आगे शेयर करेंगे।आइए शुरू करते हैं।
तुम कौन हो?
हा- हा बताओ ।
तुम कौन हो?
शहिद होते हो
तो होता नसीब
तिरंगा का कफ़न।
क्या मेरे तरह होता है?
तुम्हारा इद,होली और जसन।
तुम कौन हो?
हा- हा बताओ।
तुम कौन हो?
तुम से तो बाग बाग है।
मेरा ये चमन ।
हे!हिन्द के “फौजी”।
तुम्हें मेरा बार बार नमन।
तुम कौन हो?
हा- हा बताओ ।
तुम कौन है?
खूबसूरत रचना।👌👌
सिर पर कफ़न बाँध अपनो से दूर
शरहद की रक्षा करता है फौजी,
फिकर होती है अपनों की उसे भी
मगर उन्हें भुला वतन की फिकर करता है फौजी।
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Bilkul Sahi Kaha apne
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