सौतेली
मित्रों आज मैं आपको अपने उपन्यास की पार्ट १ बता रहा हूं। आशा है आपका प्यार मिलेगा।
राम की मा बचपन में ही गुजर गई।राम के पिता मदन काफी दौलत मंद व्यक्ति था।अपने को अकेला महसूस कर मदन ने आशा नाम के लड़की से दूसरी शादी कर लिया।आशा काफी बिगड़ैल स्वभाव की लड़की थी।
मदन राम से काफी मुहब्बत करता था।कुछ दिन तो ठीक ठाक रहा लेकिन आशा के दिमाग में कुछ और था। आए दिन आशा राम का शिकायत मदन से करती रहती थी।
मदन नजर अंदाज करता जा रहा था।शादी के कुछ दिन बाद आशा ने एक पुत्री को जन्म दी।राम काफी खुश था।
पुत्री का नाम रीति रिवाज के अनुसार रानी रखा गया।समय बीतता गया।
सौतेले पन को झेल कर राम का स्वभाव बदल चुका था। वो टपोरियों का सरदार बन चुका था लेकिन गलत के खिलाफ।
अगर कोई गलती करता तो राम उसे नहीं छोड़ता था।
हमें अपना अपमान बर्दास्त है ,अपनों का नहीं।
ये राम का प्रिय डायलॉग था। आप समझ गए होंगे ये डायलॉग राम किसके लिए इस्तेमाल करता था।
वो सौतेली मा से भी उतना ही मुहब्बत करता था।
जितना अपने मां को लेकिन मा तो मा होती है।
आशा उसे कभी मा जैसे प्यार नहीं दी।राम के
अब राम और रानी कॉलेज जाने लगे इसी दौरान राम का आंखें सीता नाम के एक लड़की से लड़ चकी थी।
By—- Sajjan Kumar Yadav
आगे अब पार्ट २ में।