Tahira Kashyap Movies.

ब्रेस्ट कैंसर को मात दी ताहिरा कश्यप।

Tahira Kashyap

ताहिरा कश्यप का जन्म चंडीगढ़ के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

ताहिरा कश्यप शुरुआत की पढ़ाई यदुवेंद्रा पब्लिक स्कूल मोहाली से कि, और आगे की पढ़ाई पंजाब यूनिवर्सिटी से की।

ताहिरा ने टॉफी जैसे ब्लॉकबस्टर फिल्म की निर्देशन भी की ।

तुम्हारी बहन स्कूल क्यों नहीं आती है?

वो अब १३ साल की हो गई तीन साल से उसका रिश्ता खोज रहे हैं।

ताहिरा प्रोफेसर, डायरेक्टर और लेखिका भी है। ताहिरा का  पति आर्टिकल १५ और ड्रीम गर्ल जैसे सुपर हिट फिल्म का हीरो आयुष्मान खुराना है।

ताहिरा और आयुष्मान।

दोनों का अफेयर काफी दोनों तक रहा फिर दिनों शादी के बंधन में बंध गए।

उसके बाद एक पुत्र विरजवीर,और एक पुत्री वरुष्का हुआ।

आयुष्मान, ताहिरा के बीमार हालत में भी अपने छाती को कठोर कर काम पर जाता था।दोनों की मुहब्बत पर केमिस्ट्री भी एक उदाहरण है।

दूरदर्शन का रामायण ।

लोकडॉन में हुआ रामायण का डिमांड।

प्रणाम करते हुए प्रभु श्री राम,माता सीता और लखन।

माता सीता ,प्रभ श्री राम और प्रभु के लाडले लखन।

मुद्दई लाख करे तो क्या होता है? वही होता जो मंजूरे खुदा होता।

आज ऊपर वाले की चली तो फिर से ग्रंथों में सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ दूरदर्शन जैसे चैनल पर प्रसारित हो गया।

मुट्ठी भर लोग रामायण को प्रभु श्री राम को माते सीते को सत्य होने का सबूत मांगते हैं।।

मैं उनको बता देना चाहता हूं कि चलो 5 मिनट के लिए मान लो तुम कि रामायण काल्पनिक है।

लेकिन उसमें बुराई क्या है?

तब तुम्हारा लव चुप हो जाएगा क्योंकि तुम्हारे पास कोई जवाब नहीं है।

तुम जिस ग्रंथों पर सवाल उठाते हो वह ग्रंथ तुम्हें जीना सिखाता है तुम्हें चलना सिखाता है।

तुमने रामायण में पड़ा होगा, पढ़ा नहीं होगा तो देखा होगा ,देखा नहीं होगा तो सुना होगा, कि एक बेटा अपने बाप के एक शब्द के पालन करने हेतु 12 बरस वनवास चला जाता है। एक पत्नी अपनी राजसी सुख भोग को छोड़कर कटीले जंगलों में चली जाती है।ये कल्पना है रामायण की अगर कल्पना ही है, तो हमें अच्छे मार्ग देने के लिए मजबूत कल्पना है।

इस पर उंगली उठाने के बजाय इस पर सवाल खड़े करने के बजाए इससे खूब कुछ सीखो तो बेहतर होगा।

रावण जैसे राक्षस के घर में भी सुरक्षित रही माते।

राम लखन।

माता सीता ,प्रभु श्री or,लखन।

तुमने रामायण में देखा होगा कि सच्चाई के साथ देने के लिए बंदर भालू भी आ गया जाते बंदर भालू भी प्रभु से प्रेम करते हैं।

The Lion

This article is about the Lion.

The Lion is a wild animal. It has a long body. It is is about 6 to 8 feet long. It is more than three feet high.

It has a large head and a long tail The lion has pointed front teeth and stron back teeth .

The front teeth are used for holding and tearing of the hunted animals.

The back teeth help it to cut up the flesh.

The neck of the lion is covered with long hair. The neck of the lioness is not covered by hair.

The Lion is four footed animal. It feets are soft padded. It has strong jaws and very sharp claws. It’s eyes are bright .

The Lion lives chiefly in forest . It is called king of the forest.

The Lion of the forest king. It is part and parcel of forests.

Ambedkar Jayanti2020.

Baba saheb ke 129 vi jayanti par …

विश्व को भेद भाव मुक्त करने के लिए किए संघर्ष।

बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1981 ईस्वी में महू मध्यप्रदेश में एक दलित परिवार में हुआ था।

बाबासाहेब प्राथमिक शिक्षा के बाद बरोदा के राजा के प्रोत्साहन पर उच्चतर शिक्षा के लिए न्यूयॉर्क फिर वहां से लंदन गए।

बाबा साहेब ने ऐतिहासिक समाजिक क्षेत्र में अनेक मौलिक स्थापना प्रस्तुत की।

स्वदेश में अर्थात भारत में बाबा साहब ने कुछ समय वकालत भी की। समाज और राजनीति में बेहद सक्रिय भूमिका निभाते हुए उन्होंने अछूतों स्त्रियों और मजदूरों को मानवीय अधिकार व सम्मान दिलाने के लिए अथक संघर्ष किया।

उनके केवल तीन प्रेरक रहे बुद्ध, कबीर और ज्योतिबा फूले ।भारत के संविधान निर्माण में बाबा साहब की अहम भूमिका और एकनिष्ठ समर्पण के कारण ही हम आज उन्हें भारतीय संविधान का निर्माता कह कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

December 1956 me Baba Saheb Ka nidhan ho gaya.

बाबा साहेब की प्रमुख रचनाएं एवं भाषण है- द कास्ट: इन इंडिया देयर मेकैनिज्म, जेनेसिस एंड डेवलपमेंट, द अनटचेबल्स , हू आर दे, हू आर शुद्राज,बुधिज्म एंड कम्युनिज्म, बुद्धा एंड हिज धम्मा,इत्यादि।बाबा साहेब के इतने संघर्ष के बाद —

यह विडंबना की बात है कि इस युग में भी जातिवाद की पोशाकों की कमी नहीं है ।इसके पोषक कई आधारों पर इसका समर्थन करते हैं ।समर्थन का एक आधार या कहा जाता है कि आधुनिक सभ्य समाज कार्यकुशलता के लिए श्रम विभाजन को आवश्यक मानता है ।और जाति प्रथा भी श्रम विभाजन का ही दूसरा रूप है इसीलिए इसमें कोई बुराई नहीं है ।इस तर्क के संबंध में पहली बात तो यही आपत्तिजनक है कि जाति प्रथा श्रम विभाजन के साथ-साथ श्रमिक विभाजन का भी रूप लिए हुए हैं। श्रम विभाजन निश्चय सभी समाज की आवश्यकता है। परंतु किसी भी सभ्य समाज में श्रम विभाजन की अवस्था श्रमिकों के विभिन्न वर्गों में अस्वाभाविक विभाजन नहीं करती

भारत की जाति प्रथा एक और विशेषता यह है कि श्रमिकों का अस्वाभाविक विभाजन ही नहीं करती बल्कि विभाजित वर्गों को एक दूसरे की उपेक्षा ऊंची नीची करार देती है ।जो कि विश्व में किसी भी समाज में नहीं पाया जाता जाति प्रथा को यदि श्रम विभाजन मान लिया जाए तो यह स्वाभाविक विभाजन नहीं है। क्योंकि यह मनुष्य की रुचि पर आधारित नहीं है। कुशल व्यक्ति या सक्षम श्रमिक समाज का निर्माण करने के लिए यह आवश्यक है कि हम व्यक्तियों की क्षमता इस सीमा तक विकसित करें जिसमें वह अपने पैसा या कार्य का चुनाव से कर सके ।इस सिद्धांत के विपरीत जाति प्रथा का दूषित सिद्धांत यह है कि इससे मनुष्य के प्रशिक्षण अथवा उसकी निजी क्षमता का विचार किए बिना दूसरे ही दृष्टिकोण जैसे माता-पिता कि सामाजिक स्तर के अनुसार पहले से ही अर्थात गर्भधारण के समय से मनुष्य का पैसा निर्धारित कर दिया जाता है।

जाति प्रथा पैसे का दोषपूर्ण पूर्व निर्धारण नहीं करती बल्कि मनुष्य को जीवन भर के लिए एक पैसे में बांध भी देती है ।भले ही पैसा अनुपयुक्त या अपर्याप्त होने के कारण वह भूखों मर जाए आधुनिक युग में यह स्थिति प्रायः आती है क्योंकि उद्योग धंधों की प्रक्रिया व तकनीक मैं निरंतर विकास और कभी-कभी आकस्मिक समाज परिवर्तन भी हो जाता है। जिसके कारण मनुष्य को अपना पैसा बदलने की आवश्यकता पड़ सकती है ।और यदि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मनुष्य को अपना पैसा बदलने की स्वतंत्रता ना हो तो इसके लिए भूखे मरने के अलावा क्या चारा रह जाता है हिंदू धर्म की जाति प्रथा किसी भी व्यक्ति को ऐसा पैसा चुनने की अनुमति नहीं देती है ।जो उसका पैतृक पैसा ना हो भले ही वह उस में पारंगत हो इस प्रकार पैसा परिवर्तन की अनुमति न देकर जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख व प्रत्यक्ष कारण बनी हुई।

इस प्रकार हम देखते हैं कि श्रम विभाजन की दृष्टि से भी जाति प्रथा गंभीर दोषों से युक्त है ।जाति प्रथा का श्रम विभाजन मनुष्य के स्वेक्षा पर निर्भर नहीं करता ।मनुष्य की व्यक्तिगत भावना तथा व्यक्तिगत रूचि का इसमें कोई स्थान अथवा महत्व नहीं रहता। इस आधार पर हमें यह स्वीकार करना पड़ेगा कि आज कि उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न इतनी बड़ी समस्या नहीं है ।जितनी की बहुत से लोग निर्धारित कार्य को अरुचि उसी के साथ केवल विवशता से करते हैं ।ऐसी स्थिति स्वभाव मनुष्य को दुर्भावना से ग्रस्त रहकर तलू काम करने और कम काम करने के लिए प्रेरित करती है ।ऐसी स्थिति में जहां काम करने वालों का ना दिल लगता हो ना दिमाग कोई कुशलता कैसे प्राप्त की जा सकती है? पता अतः यह निर्विवाद रूप से सिद्ध हो जाता है की आर्थिक पहलू से भी जाति प्रथा हानिकारक पड़ता है क्योंकि यह मनुष्य की स्वाभाविक प्रेरणा रुचि आत्मशक्ति को दबाकर उन्हें अस्वाभाविक नियमों में चक्र कर निष्क्रिय बना देती है।

Mother Teresa.

Who was mother Teresa?

Anges popularly known as mother Teresa.

Mother Teresa was a great Saint . She was born on 26 August, 1910 I’m Skopeje, Macedoni.

She was the youngest child of an Albanian builder .her early name was Anes. But she is popularly known as mother Teresa.

She took her initial vows as a nun. From 1931 to 1948, Mother Teresa taught at At. Marry’s High School, Calcutta.But the suffering and poverty of the men made her leave the 🏫.

Mother Teresa devoted herself to work among the poorest of the poor in the slums of Calcutta.

Although Mother had no fund, she started an open air school for slum children.

In 1950, Mother Teresa started the missionaries of charity.

  1. She loved and cared for those persons whom nobody looked after.

Mother Teresa received a number of national and international awards and distinctions.

Mother Teresa had to face many difficulties and criticism, but she was undeterred.

Mother Teresa said,”No matter who says what.You should accept it with a smile and do your own work”.

After receiving the #Nobel_Prize , Mother Teresa advised people to go back home and love their family,in order to promote world peace.

Mother Teresa left her heavenly abode on 5th #september 1947.

At the time of her death her Missionaries of Charity had over thousands #sistrts_and_an_associated_brother_hood of three hundred members operating six hundred and ten mission in 123 countries.

These included hospital and homes for the people with #HIV / #AIDS, leprosy and #tuberculosis, #children and family counselling programs, personal helps , orphanage and schools.

Mother Teresa was given a state #funrel by #Goverment of #India in gratitude for her #service to the poor of all the #religions in India.

By-Sajjan Kumar

सौतेली पार्ट २

#सौतेलापन_का_अनोखा_उपन्यास।

उधर राम का प्यार परवान चढ़ रहा था,इधर आशा की लालच।

आशा ने मन ही मन विचार कर रही थी कि राम को मदन के नज़रों से कैसे गिराया जय।

एक दिन उसे एक आइडिया मिल ही गया।

आइडिया ऐसा की इंसानियत को शर्मसार कर दे।

आशा ने रानी को मजबूत कर दिया कि आज तुम पापा को बोलेगी मेरे ऊपर भैया गलत नजर बहुत दिनों से डालते आ रहे है। आज तो मै बच गई अगर समय पर मा नहीं आती तो मै कहीं मुंह दिखाने के लायक नहीं रहती।

हुआ भी ऐसा जब मदन रात्रि को घर आए सब जस का तस था। उधर राम को कुछ मालूम नहीं था। आशा ने सारी मनगढ़ंत कहानी सुनाई।

मदन का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया।

राम को घसीट कर घर से बाहर कर दिया ।

जाओ आज मै तुम्हे अपने जायदाद से बेदखल करता हू ।

पापा हुआ क्या?तुम मुझे पापा मत बोलना तुमने मुझे पापा कहने का अधिकार खो दिया।

निकल जा यहां से नहीं तो बहुत बार होगा।

आप मुझे फेसबुक पर फूलो करें। sajan yadav

राम पिता जी के गुस्सा को देखकर घर से निकाल गाय।

रात अपने एक मित्र के यहां गुजारा।

इधर इस डाय न को इतना से मन नहीं भरा ।

सुबह होते ही अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन जा कर राम के खिलाफ मुकदमा कर दी ।

मुकदमा दायर होने के बाद पुलिस राम को उठा कर ले गया।तब राम को पता चला कि हमें घर से बाहर क्यों निकाला गाय?

इधर अब आशा बहुत खुश थी ।।

राम उदास सा रहने लगा।

आगे पार्ट३ में

आप हमारे ब्लॉग को प्यार दें हम आपको मनोरंजन के अनुभव देंगे।

सौतेली

सौतेली

मित्रों आज मैं आपको अपने उपन्यास की पार्ट १ बता रहा हूं। आशा है आपका प्यार मिलेगा।

राम की मा बचपन में ही गुजर गई।राम के पिता मदन काफी दौलत मंद व्यक्ति था।अपने को अकेला महसूस कर मदन ने आशा नाम के लड़की से दूसरी शादी कर लिया।आशा काफी बिगड़ैल स्वभाव की लड़की थी।

मदन राम से काफी मुहब्बत करता था।कुछ दिन तो ठीक ठाक रहा लेकिन आशा के दिमाग में कुछ और था। आए दिन आशा राम का शिकायत मदन से करती रहती थी।

मदन नजर अंदाज करता जा रहा था।शादी के कुछ दिन बाद आशा ने एक पुत्री को जन्म दी।राम काफी खुश था।

पुत्री का नाम रीति रिवाज के अनुसार रानी रखा गया।समय बीतता गया।

सौतेले पन को झेल कर राम का स्वभाव बदल चुका था। वो टपोरियों का सरदार बन चुका था लेकिन गलत के खिलाफ।

अगर कोई गलती करता तो राम उसे नहीं छोड़ता था।

हमें अपना अपमान बर्दास्त है ,अपनों का नहीं।

ये राम का प्रिय डायलॉग था। आप समझ गए होंगे ये डायलॉग राम किसके लिए इस्तेमाल करता था।

वो सौतेली मा से भी उतना ही मुहब्बत करता था।

जितना अपने मां को लेकिन मा तो मा होती है।

आशा उसे कभी मा जैसे प्यार नहीं दी।राम के

अब राम और रानी कॉलेज जाने लगे इसी दौरान राम का आंखें सीता नाम के एक लड़की से लड़ चकी थी।

By—- Sajjan Kumar Yadav

आगे अब पार्ट २ में।

………..Sympathy…………….

A thirsty old man is sitting beside the road.He says water !water!water!….Sajjan and Madhusudan are friends.They heard the old man’s cry………

I lay in sorrow, deep distressed;

My grief a proud man heard;

His looks were cold, he gave me gold,

But not a kindly word.

My sorrow passed;

I paid him back

The gold he gave to me,

Then stood erect and spake my thanks,

And blessed his charity.

I lay in want, in grief and pain;

A poor man passed my way;

He bound my head,

He gave me bread,

He watched me night and day.

How shall I pay him back again

For all he did to me?

Oh, gold is great , but grater far

Is heavenly sympathy.

Charles Mackay

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