क्या आपने कभी मृत्यु भोज के बारे में सोचा है?मै जानता हूं ।जवाब होगा, नहीं।अगर सोचा भी होगा तो गिने चुने लोग।आइए विचार करें।
मृत्यु भोज अभी उत्तरी भारत में जोर पर है।क्या आपके यहां भी ऐसा है ? अगर ऐसा है,तो गलत है।
किसी भी प्राणी का अगर मौत होता है,तो वह खुशी का विषय नहीं माना जाएगा।पशु पक्षी को भी अपने प्रजाति के मरने पर तकलीफ होता है।वे भी मातम मानते है।
लेकिन प्राणियों में सबसे ज्यादा बुद्धिमान प्राणी मानव ही एक ऐसा प्राणी क्यों है?जो अपने प्रजाति के मरने पर आयोजन बनाकर भोज करते है।
हमने तो यहां तक देखा है, कि जो व्यक्ति दस बीस हजार के लिए अपना इलाज नहीं करबा पाया ।उसी के श्राद्ध पर लाख रुपया खर्च किया गया।
शर्म आना चाहिए ऐसे समाज के लोगो को,ऐसे बेटों को ऐसे पोतों को।
अब हमें आपको लोगो को जगना होगा मृत्यु भोज से कुछ नहीं होता ।इसमें उलझ कर अपना घर न बर्बाद करें।
मेरा ये विचार अच्छा लगे तो कॉमेंट जरूर कीजिएगा।
Nice though
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Aap ka vichar se hum sahamat hun main aur Mera pariwar ke log
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Thank u
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Aap ke vichar se me to sahmat hu
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बहुत सही कहा।
कई परम्परा पुरानी ऐसी जो बोझ बन गयी है,
हर रोगों से बढ़कर वो रोग हो गई है।
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