“मृत्यु भोज”

क्या आपने कभी मृत्यु भोज के बारे में सोचा है?मै जानता हूं ।जवाब होगा, नहीं।अगर सोचा भी होगा तो गिने चुने लोग।आइए विचार करें।

मृत्यु भोज अभी उत्तरी भारत में जोर पर है।क्या आपके यहां भी ऐसा है ? अगर ऐसा है,तो गलत है।

किसी भी प्राणी का अगर मौत होता है,तो वह खुशी का विषय नहीं माना जाएगा।पशु पक्षी को भी अपने प्रजाति के मरने पर तकलीफ होता है।वे भी मातम मानते है।

लेकिन प्राणियों में सबसे ज्यादा बुद्धिमान प्राणी मानव ही एक ऐसा प्राणी क्यों है?जो अपने प्रजाति के मरने पर आयोजन बनाकर भोज करते है।

हमने तो यहां तक देखा है, कि जो व्यक्ति दस बीस हजार के लिए अपना इलाज नहीं करबा पाया ।उसी के श्राद्ध पर लाख रुपया खर्च किया गया।

शर्म आना चाहिए ऐसे समाज के लोगो को,ऐसे बेटों को ऐसे पोतों को।

अब हमें आपको लोगो को जगना होगा मृत्यु भोज से कुछ नहीं होता ।इसमें उलझ कर अपना घर न बर्बाद करें।

मेरा ये विचार अच्छा लगे तो कॉमेंट जरूर कीजिएगा।

” Holi”

India is the land of festivals.We celebrate many festivals. Some are religious and some are important (national) festivals.

Holi,Dipawali,Id,Durga Puja etc are religious festivals.

Today I want to say about Holi. Holi is a religious festival. Hindu celebrate this festival with great zeal . Today peaples make bun and play with colours.

।।नकली संत की कथा।।

बिहार के सुपौल जिले के कोशालीपट्टी ग्राम में एक मंदिर है। एक समय वहां पर कोई पांच दिवसीय सत्संग उत्सव मनाया जा रहा था।उसमे यह संत श्रोता के रूप में उपस्थित था।

वहां पर कुछ प्रवक्ता एक लम्बी स्टेज पर बैठे तथा प्रवचन शुरू हुआ। सभी ने अपने अपने विचार व्यक्त किए।एक महात्मा जिसकी जानकारी स्टेज सिक्रेटी ने दी थी कि यह महापुरुष पहुंचे हुए विद्वान आत्मतत्व में प्रवेश है व गीता के मर्मज्ञ ज्ञाता है।

वे महात्मा जी प्रवचन दिए लोग काफी प्रभावित हुए। लेकिन अन्तिम समय में वे एक अशोभनीय बात बोल दिए।

आइए मै बताता हूं वो अशोभनीय बात किया था ?

उन्होंने बताया कि एक आदमी को पेट में काफी दर्द शुरू हुआ। वो दर्द से काफी चिल्ला रहे थे। मैंने बोला अरे मूर्ख क्यों चिल्ला रहा ?यह कष्ट तो शरीर को है तू क्यों दुखी हो रहा है? ये अशोभनीय बात लोगों में उनका प्रभाव खत्म कर दिया ।एक दिन वही महात्मा दर्द से कराह रहे थे तो मैंने पूछा । क्या हुआ महात्मा जी क्यों चिल्ला रहे रहे है? ये दर्द तो शरीर का है ……………………….

“खुदा को किसने खोजा?”

खुदा को किसने खोजा ? यह सुनकर मुस्लिम समुदाय हमे गली भी देगा लेकिन सत्य है। इस्लाम धर्म नहीं एक विचारधारा है और सुंदर विचार धारा है जिसका प्रचार प्रसार हजरत मुहम्मत ने किया ।

तीन पैर के आदमी

अन्तिम सांस ले रहे सेठ ने अमरीका अपने बेटे को फोन कर तीन वाक्य बोले —

(१) महल दर महल बनाना ।

(२)दरवाजे पर हाथी बांधना ।

(३)अगर समझ में नहीं आए तो तीन पैर के आदमी से पूछना।(इतना कहते ही सेठ की सांसे रुक गई)

बेटा अमेरिका से आया विधिवत पिता जी का अन्तिम संस्कार किया।

अब वो सोचने लगे पिता द्वारा कहे गए बातों के बारे में………..

कुछ समय बाद कुछ उद्योग बेच कर महल पर महल बना दिए।

फिर कुछ उद्योग बेचकर दरवाजे पर हाथी बांध दिए। कुलमिलाकर सेठ का सभी उद्योग बिक गया।आमदनी रुक गए ।

अब सेठ का बेटा खाने को मोहताज होने लगे फिर उन्हें अन्तिम वाक्य का याद आय(तीन पैर के आदमी से पूछना)फिर देर किस बात की निकल गए तीन पैर के आदमी को खोजने ।इधर उधर भटकते हुए उन्हें साम में एक वृद्ध व्यक्ति पर नजर आया। जिसके हाथ में एक लाठी था।अब उसके समझ में आय की वृद्ध को ही तीन पैर का आदमी कहा जाता है।फिर उन्होंने सेठ से पिता द्वारा कहे गए वाक्यों सुनाया –

अब बड़े प्यार से वृद्ध व्यक्ति समझा दिए बेटा —

महल दर महल बनाने का अर्थ है – मूलधन के ब्याज से ब्याज कामना।

दरवाजे पर हाथी बांधने का अर्थ है — समय अनुसार बुजुर्गों का विचार लेना ।

और तीन पैर का आदमी तो मै हू । घर लौटा सभी कार्य फिर ठीक हो गया।

” मां”

मां,बताओ मां, तुझे कुछ महसूस हुआ तो नहीं?

तेरे पवित्र आंचल को उसका नापाक कदम छुआ तो नहीं।

मां,बताओ मां तुझे कुछ महसूस हुआ तो नहीं?

हमे संदेशा आया है खुफिया के भाइयों से

तेरे लाला पाकिस्तान के जमाइयों से

मां, बताओ मां तुझे कुछ महसूस हुआ तो नहीं ?

तेरे पवित्र आंचल को उसका नापाक कदम छुआ तो नहीं।

मां, बताओ मां बतुझे कुछ महसूस हुआ तो नहीं?

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